मेरी मोबाइल और मै

            " मेरी  मोबाइल  और  मै "
  मेरी और  मोबाइल के  बीच  गहरी  रिस्ता हैं 
      हर पल मेरी नजरें  ढूंढ़ते  रहती  हैं!
 
     ज़ब मै  उससे  दूर होता हु  तब  
       तब भी मेरी नजर  उससे ढूंढ़ते 
           रहती  हैं !
प्रातः काल  सोने  के उतने से लेकर  
मध्यरात्रि  ज़ब तक आँखों  मे नींद  
 न आज जाये  मेरी  नजरें  ढूंढ़ते  रहती हैं, 
मेरी और मोबाइल  के बिच  गहरी  रिस्ता  हैं !
 
मै उससे  हर समय अपने  पास  रखता  हु 
दिन के  18 घंटे  मेरी ऊँगली  और नजर
  मोबाइल पर  रहती हैं, 
मेरी  और मोबाइल  के  बिच  गहरी  रिस्ता  हैं !

इस   lockdawn  मे प्राण  प्रिय  सा हो गया हैं 
हरपल  मेरे साथ रहता हैं, 
लोग मुझे  ताने  देते  की मोबाइल मे घुस  जा 
पर क्या करू, 
मेरी  और मोबाइल  के बिच  गहरी  रिस्ता   हैं !
 
आजकल  सभी के हाथों  मे फोन  होता हैं 
हरकोई  का उपयोग  करने का, 
एक लिमिट  सा होता हैं पर मुझे  इसके बिना रहा नहीं जाता  क्या करू, 
मेरी  और मोबाइल  के बिच गहरी  रिश्ते  हैं !

आजकल  अपने  मित्रो  से मोबाइल  के माध्यम  से ही जुडा रहता हु क्योंकि  मेरे पास यही एक साधन हैं, 
यही एक माध्यम  हैं  जो मेरी दोस्ती की सलामती का खबर  यही से मिलता हैं 
मेरी और मोबाइल के बीच  गहरी रिस्ता  हैं

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